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EPFO Pension Rule Change: सैलरी सीमा बढ़ाने से EPF और EPS योगदान में क्या बदलाव होगा, नए नियम 1 जनवरी से

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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपनी पेंशन योजनाओं में महत्वपूर्ण बदलाव की योजना बनाई है, खासकर कर्मचारियों के वेतन सीमा से जुड़ी पेंशन योजना (EPS) में। रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार EPF योजना के तहत वेतन सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है, जो वर्तमान में 15,000 रुपये प्रति माह है। यह सीमा बढ़ाकर 21,000 रुपये करने की संभावना है, जिससे कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के योगदान में बदलाव हो सकता है।

EPS के नए नियम 1 जनवरी से
1 जनवरी, 2025 से, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) 1995 के तहत पेंशनभोगी पूरे भारत में किसी भी बैंक, किसी भी शाखा से अपनी पेंशन प्राप्त कर सकेंगे। यह अद्यतन केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा अनुमोदित नई केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली (CPPS) की शुरूआत के बाद है।

आइए जानते हैं इस बदलाव से EPF और EPS योगदान में क्या बदलाव होगा:

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1. सैलरी सीमा में वृद्धि
• वर्तमान सैलरी सीमा: वर्तमान में, अगर किसी कर्मचारी का मासिक वेतन 15,000 रुपये से अधिक होता है, तो वह EPS में शामिल नहीं हो सकता, भले ही वह EPF योजना में शामिल हो।

• प्रस्तावित बदलाव: सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 21,000 रुपये करने पर विचार कर रही है। इससे उच्च वेतन वाले कर्मचारी (जो 15,000 रुपये से अधिक कमाते हैं) भी EPS में शामिल हो सकेंगे और उनकी पेंशन कवरेज बढ़ जाएगी।

• बदलाव का कारण: यह बदलाव सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है, ताकि ज्यादा कर्मचारियों को पेंशन योजना का लाभ मिल सके।

2. EPF और EPS योगदान पर असर
• EPF योगदान: वर्तमान में, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही कर्मचारी के बेसिक वेतन का 12% EPF खाते में जमा करते हैं।

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• EPS योगदान: जब कर्मचारी EPS में शामिल होते हैं, तो नियोक्ता का 12% योगदान का 8.33% हिस्सा EPS में जमा हो जाता है और बाकी का हिस्सा EPF खाते में। इसका मतलब है कि EPS में शामिल होने से EPF में जमा होने वाली राशि कम हो जाती है, लेकिन पेंशन खाता बढ़ता है।

उदाहरण के लिए:
• अगर एक कर्मचारी का वेतन 15,000 रुपये है और कर्मचारी और नियोक्ता दोनों 12% EPF में योगदान करते हैं, तो कुल योगदान 3,600 रुपये (1,800 रुपये प्रत्येक) होगा।

• लेकिन अगर कर्मचारी EPS में शामिल होता है (यदि सीमा 21,000 रुपये तक बढ़ाई जाती है), तो नियोक्ता का योगदान अब विभाजित होगा, जिसमें से 1,250 रुपये EPS खाते में जाएंगे और 550 रुपये EPF में।

• सैलरी सीमा बढ़ने का असर: अगर सैलरी सीमा 21,000 रुपये तक बढ़ाई जाती है, तो वे कर्मचारी, जिनका वेतन 15,000 रुपये से अधिक है, EPS योजना में शामिल हो सकेंगे, और नियोक्ता का योगदान EPS खाते में जाएगा, जिससे EPF में जमा होने वाली राशि घटेगी।

3. EPFO कवरेज के लिए कर्मचारियों की संख्या की सीमा में कमी
• वर्तमान सीमा: वर्तमान में, यदि किसी संगठन में 20 या उससे अधिक कर्मचारी हैं, तो उस संगठन को EPF और EPS योजनाओं के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है।

• प्रस्तावित बदलाव: सरकार इस सीमा को घटाकर 10-15 कर्मचारी करने पर विचार कर रही है। इससे छोटे संगठनों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी EPF और EPS का लाभ मिल सकेगा।

4. कर्मचारियों के लिए संभावित परिणाम
• बेहतर पेंशन कवरेज: वे कर्मचारी, जिनका वेतन 15,000 रुपये से अधिक और 21,000 रुपये तक है, जो पहले EPS के लिए अयोग्य थे, अब पेंशन योजना में शामिल हो सकेंगे। इससे उनके रिटायरमेंट के बाद पेंशन लाभ बढ़ जाएगा।

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• EPF योगदान में कमी: हालांकि कर्मचारियों को EPS का लाभ मिलेगा, लेकिन इसके बदले में नियोक्ता का EPF योगदान कम हो जाएगा, क्योंकि उसका कुछ हिस्सा EPS में जाएगा। इसका मतलब यह है कि EPF खाते में दी जाने वाली लंबी अवधि की बचत कम हो सकती है।

5. आगे का रास्ता
• श्रम और रोजगार मंत्रालय इस मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श कर रहा है और जल्द ही इसका अंतिम फैसला किया जा सकता है।

• यदि ये बदलाव लागू होते हैं, तो यह EPFO के तहत पेंशन कवरेज को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा और अधिक कर्मचारियों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा के लाभ मिलेंगे।

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निष्कर्ष (Conclusion)
EPFO पेंशन नियम में प्रस्तावित बदलाव से कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों पर असर पड़ेगा। सैलरी सीमा बढ़ाकर 21,000 रुपये करने से अधिक कर्मचारियों को EPS योजना में शामिल होने का अवसर मिलेगा, जिससे उनके रिटायरमेंट के बाद पेंशन कवरेज बढ़ेगा। हालांकि, इसके साथ ही EPF में जमा होने वाली राशि में कमी आएगी, क्योंकि नियोक्ता का कुछ योगदान EPS में जाएगा। इसके अलावा, छोटे संगठनों को भी EPF और EPS का लाभ मिलेगा, जिससे यह योजनाएं और भी ज्यादा लोगों तक पहुंच सकेंगी।
कर्मचारियों और नियोक्ताओं को इस बदलाव के बारे में जानकारी रखना और योजना के अनुसार अपनी भविष्य की वित्तीय रणनीतियों को समायोजित करना महत्वपूर्ण होगा।

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